Tuesday, January 1, 2013

मेरा बचपन



बारिश के बाद
मिटटी की सोंधी खुशबू
लहलहाते खेत
ओर ठंडी हवाए |
मत जाना तू
लौट कर परदेश
लगता है ये कहके
सब मुझे बुलाये ||
जिन्दगी की भागदोड़ मे
सब पीछे छुट गया
खो गया बचपन
ओर गाँव भी छुट गया |
अब एक मेहमान बनकर
यहाँ आता हू लगता है
भीड़ मे अकेला
खुद को पाता हू लगता है ||
चूल्हे पे बनी रोटी
वही बैठ कर खाना
पेट भरने के बाद भी
एक ओर रोटी खाना |
वो सर्दियों मे गन्ने
खेत से चुन के लाना
मेरे कोई ना ले ले
इस डर से थोड़े छुपाना ||
हांड़ी मे बनी सब्जी का
स्वाद अभी बाकी है
कोल्हू के ताजे गुड की
मिठास अभी बाकी है |
मन करता है कि
फिर से छोटा हो जाऊ
ओर अपने गाँव मे
अपना बचपन जी पाऊ ||

1 comment:

  1. गाम याद दुआ दिया .........

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ये थी मेरे मन की बात, आपके मन में क्या है बताए :