जिन्दगी जीने का कभी सलीका नहीं आया |
मुझे रूठो को मानाने का तरीका नहीं आया ||
ताउम्र भटकता रहा जाने किसकी तलाश में |
प्यासा होंके भी पीने का सलीका नहीं आया ||
मुझे रूठो को मानाने का तरीका नहीं आया ||
ताउम्र भटकता रहा जाने किसकी तलाश में |
प्यासा होंके भी पीने का सलीका नहीं आया ||