कभी यकीन होता है कभी सब झूठ लगता हैं |
तेरा प्यार मुझे अब जाने क्यों अजीब लगता है ||
सच ओर झूठ कि पहचान नहीं होती अब |
इस कशमकश में रहना मुझको नसीब लगता है ||
कभी लगता है तू छोड़ गया है मुझको राह में |
कभी दूर होकर भी तू मुझको करीब लगता है ||
कभी हर मुसीबत में तुझे अपने पास पाता था |
आज मेरा होकर भी तू मुझको रकीब लगता है ||
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