Thursday, January 3, 2013

बेटी


कुछ भी तो नहीं माँगा मैंने संसार से |
चाहा था बस सब देखे मुझे प्यार से ||

अभी-२ तो माँ बाप ने बेटी को बेटा माना है |
अभी-२ तो मैंने बेटी होने का फर्ज जाना है ||

पर लोगो की आँखों में शैतान नजर आता है |
शक्ल तो इंसानों की है पर हैवान नजर आता है ||

माँ बाप को गर्व है की मै उनकी बेटी हू |
पर मुझे लगता है कि में अंगारों पै लेटी हू ||

क्यों मुझे सिसक सिसक कर जीना पड़ता है |
क्यों मुझी को अपमान का घूट पीना पड़ता है ||

संभल जाओ वक्त रहते वरना तुम पछताओगे |
खत्म हो जायेगा सब कुछ तुम भी ना बच पाओगे ||

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