प्रक्रति का भयानक प्रकोप तो उत्तराखंड झेल ही रहा है परन्तु वह फसे लोगो
को प्रक्रति के साथ -२ मनुष्यों का प्रकोप भी झेलना पड़ रहा है | वहा पर
उनकी सहायता केवल सेना या आई टी बी पी के जवान ही कर रहे है | स्थानीय
प्रसाशन बिलकुल नदारद है |
कुछ दिनों से अखबारों में छपी खबरे पढ़कर मन विचलित हो गया | लोग लाशो में से भी पैसे, मोबाइल निकल रहे है लूट खसोट रहे है मरे हुए लोगो को | हाय रे प्रभु तेरी लीला | आज अख़बार में पढ़ा की वह फसे लोगो को निकालने के लिए जो स्पेशल ट्रेन चलाई गयी है उसमे भी लोगो को बिना टिकट लिए चढ़ने नहीं दिया गया |
सोचने की बात ये है की उन लोगो के शरीर पर कपडे भी लेश मात्र बचे है वो किराया कहा से देंगे , वाह रे हमारा प्रसाशन ! मानवता तो ख़त्म हो ही ली है | वहां फसे लोगो को पारले जी का ५ रूपये का पैकेट १०० रूपये में रोटी २०० रूपये में !!
हाय रे इंसानों तुमसे अच्छे तो जानवर ही है, कुछ तो शर्म करो !!!!!!
कुछ दिनों से अखबारों में छपी खबरे पढ़कर मन विचलित हो गया | लोग लाशो में से भी पैसे, मोबाइल निकल रहे है लूट खसोट रहे है मरे हुए लोगो को | हाय रे प्रभु तेरी लीला | आज अख़बार में पढ़ा की वह फसे लोगो को निकालने के लिए जो स्पेशल ट्रेन चलाई गयी है उसमे भी लोगो को बिना टिकट लिए चढ़ने नहीं दिया गया |
सोचने की बात ये है की उन लोगो के शरीर पर कपडे भी लेश मात्र बचे है वो किराया कहा से देंगे , वाह रे हमारा प्रसाशन ! मानवता तो ख़त्म हो ही ली है | वहां फसे लोगो को पारले जी का ५ रूपये का पैकेट १०० रूपये में रोटी २०० रूपये में !!
हाय रे इंसानों तुमसे अच्छे तो जानवर ही है, कुछ तो शर्म करो !!!!!!
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