मजबूर कुछ इस तरह से हुए की बता भी ना सके हम |
कितना चाहा था तुझे जरा सा भी जता ना सके हम ||
तेरी चाहत ओर तेरी आरजू रही हमेशा इस दिल में |
पहरा दुनिया ने लगा दिया तो पास आ ना सके हम ||
कितना चाहा था तुझे जरा सा भी जता ना सके हम ||
तेरी चाहत ओर तेरी आरजू रही हमेशा इस दिल में |
पहरा दुनिया ने लगा दिया तो पास आ ना सके हम ||
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ये थी मेरे मन की बात, आपके मन में क्या है बताए :